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बीए सेमेस्टर-2 - अर्थशास्त्र-समष्टि अर्थशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2714
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 - अर्थशास्त्र-समष्टि अर्थशास्त्र

अध्याय - 10
विनियोग गुणक
(Investment Multiplier)

विनियोग गुणक की अवधारणा का विकास प्रो. कीन्स द्वारा किया गया था। कीन्स की धारणा थी कि प्रारम्भिक विनियोग के कारण हुई आय में अंतिम वृद्धि को ही विनियोग गुणक कहा जाता है। स्पष्टतः विनियोग गुणक विनियोग में परिवर्तन के कारण आय में होने वाले परिवर्तनों का अनुपात होता है। प्रो. कीन्स के अनुसार प्रारम्भिक विनियोग के कारण आय में कई गुना वृद्धि होती है। प्रो. हैक्सन ने भी स्पष्ट किया है कि कीन्स का विनियोग गुणक वह गुणांक हैं जिसका सम्बन्ध विनियोग वृद्धि तथा आय वृद्धि के मध्य से है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि विनियोग गुणक विनियोग में हुई वृद्धि के कारण भाव में होने वाली वृद्धि है और इसी कारण इसे आय गुणक के नाम से भी जाना जाता है। विनियोग गुणक को सूत्र K = से प्रदर्शित किया जाता है। इसमें K गुण का y आय I विनियोग तथा 4 विनियोग अथवी आय में होने वाले परिवर्तन को प्रदर्शित करते हैं। विनियोग गुणक के अध्ययन से हमें विनियोग का महत्व स्पष्ट हो जाता है। इसकी सहायता से व्यापार चक्र के परिवर्तन बिन्दुओं की भी व्याख्या की जा सकती है। विनियोग गुणक बचत एवं विनियोग में समानता स्थापित करने में भी मदद करता है। इसका उपयोग पूर्ण रोजगार सम्बन्धी सरकारी नीतियों के निर्माण के लिए भी किया जाता है। यह अर्थव्यवस्था में मंदीकाल से मुक्ति दिलाने में सहायक सिद्ध होता है। इस प्रकार से विनियोग अर्थव्यवस्था के विकास के लिए अत्यन्त उपयोगी होता है और इसमें विनियोग गुणक की भी अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका होती है। प्रो. कीन्स ने अपनी जनरल थ्योरी में यह भी स्पष्ट किया है कि सीमान्त बचत एवं गुणक की क्रियायें भले ही भिन्न-भिन्न व्यक्तियों द्वारा की जाती हो तथा उनके उद्देश्य और निर्णय भी भिन्न-भिन्न हो परन्तु समाज में बचत तथा गुणक एक दूसरे के बराबर होते हैं। आय तथा उपभोग का अन्तर ही बचत होती है। कीन्स के अनुसार बचत तथा गुणक एक-दूसरे के बराबर हैं तथा समरूप भी हैं। खाता सम्बन्धी समानता भी इस बात को स्पष्ट करती है कि भले ही व्यक्तिगत दृष्टिकोण से बचत तथा गुणक असमान हो परन्तु सम्पूर्ण देश के लिये ये सदैव बराबर होते हैं। बचत तथा गुणक की खाता सम्बन्धी समानता सदैव रहती है लेकिन इसमें सदैव संतुलन का रहना आवश्यक नहीं होता। यह समानता उस स्थिति में रहती है जब अर्थव्यवस्था संतुलन में नहीं रहती तथा राष्ट्रीय आय में परिवर्तन होता रहता है। महागुणक वह संख्या होती है जिससे विनियोग परिवर्तन को गुणा करने से परिवर्तन के बारे में पता चल जाता है।

महत्वपूर्ण तथ्य

  • गुणक की धारणा का सम्बन्ध आर.एफ. काहन से है।
  • विनियोग गुणक का प्रतिपादन कीन्स ने किया।
  • k = Δy / Δl कीन्स के अनुसार प्रारम्भिक विनियोग के कारण हुई आय में अन्तिम वृद्धि को विनियोग गुणक कहा जाता है।
  • प्रारम्भिक निवेश व्यय को गुणा कर आय में अन्तिम वृद्धि प्राप्त की जाती है, गुणक का मूल्य MPC पर निर्भर करता है।
  • गुणक का आकार MPC पर निर्भर करता है।
  • गुणक एवं MPC का सीधा सम्बन्ध पाया जाता है।
  • गुणक एवं MPG का विपरीत सम्बन्ध पाया जाता है।
  • MPC जितनी अधिक होगी गुणक का मूल्य उतना ही अधिक होगा।

     1
k = ------
     1-C
MPS एवं गुणक का विलोम सम्बन्ध है अर्थात्
     1
k = ------
     MPS
      Δl
k = ------
     1-C
Δy       1
---- = ------
Δl      1-C
y = C+1
y = C+1+ G

  • गुणक का गुणांक एक एवं अनन्त के बीच रहता है।
  • रोजगार गुणक की अवधारण आर. एफ. कांहन ने दिया है। आर.एफ. कांहन अमेरिका का निवासी था।
  • गुणक का रिसाव तरलता अधिमान, बचत, प्रतिभूतियों का क्रय है।
  • हैजालिट का कथन है कि कीन्स के गुणक सिद्धान्त बेकार सैद्धान्तिक खिलौना है। हार्ट का कथन है कि गुणक "यह बेकार पाँचवां पहिया है।"
  • हैजालिट ने कहा है कि गुणक सिद्धान्त फेंज के सिद्धान्त का अस्पष्ट भाग है
  • ऋण विलोपन, कीमत स्फीति तथा कराधान महत्त्वपूर्ण रिसाव है।
  • कीन्स का निवेश गुणक स्थैतिक गुणक है।
  • जटिल गुणक का उदाहरण प्रावैगिक गुणक है।
  • कीन्स के निवेश गुणक सिद्धान्त को द्वि-क्षेत्र मॉडल कहा जाता है।
  • -त्रि-क्षेत्र गुणक में प्रावैगिक गुणक आता है।
  • स्वायत्त सरकारी व्यय में परिवर्तन से आय में परिवर्तन होता है, उसे प्रावैगिक गुणक कहा जाता है।
  • गुणक सिद्धान्त की मान्यता है - विकसित अर्थव्यवस्था, अनैच्छिक बेरोजगारी, कार्यशील पूँजी आदि।
  • डॉ. बी.के.वी.आर.बी., राव ने भारत में गुणक सिद्धान्त लागू करने का प्रयास किया।
  • रोजगार गुणक विश्लेषण का सम्बन्ध U.S.A. से है।
  • हैन्शन का कथन है "केंज का निवेश गुणक रेखा है जो निवेश में हुई वृद्धि को आय की वृद्धि से सम्बन्धित करता है।"
  • गुणक का महत्त्व निहित है व्यापार चक्र, बचत निवेश समानता, निवेश में। रोजगार गुणक का प्रतिपादन 1931 में किया गया।
  • MPC सदैव 1 एवं शून्य के बीच होता है। स्टिग्लर के अनुसार गुणक अस्पष्ट धारणा है।
  • सेमुल्सन के अनुसार " गुणक त्वरक की अर्न्तक्रिया ही व्यापारिक उच्चावचनों को नियंत्रित कर सकती है।

                                            1                        1
MPC = 0.75 तो गुणक = ---------------- = ---------- = 4 होगा।
                                            1- 0.75              0.25

  • मुद्रा का लेनदेन आय का फलन होता है।
  • प्रो. कीन्स के अनुसार बचत तथा गुणक एक दूसरे के बराबर हैं तथा समरूप भी हैं।
  • महागुणक से आशय विनियोग परिवर्तन के कारण आय में होने वाले परिवर्तन के अनुपात से है। महागुणक वह संख्या है जिससे विनियोग परिवर्तन को गुणा करने से आय परिवर्तन के बारे में पता चलता है।
  • स्वीडन के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री नट विकले ने 19वीं शताब्दी के प्रारम्भ में मुद्रा स्फीति सिद्धान्त में गुणक सिद्धांत का अप्रत्यक्ष रूप से विरोध किया था। 
  • महागुणक के संदर्भ में सन् 1936 में कीन्स ने जनरल थ्योरी में गुणक सिद्धान्त की विस्तृत व्याख्या की है।
  • ब्रिटिश अर्थशास्त्री आर.एफ. कोहन ने सन् 1931 में गुणक सिद्धान्त का विकास किया।


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    अनुक्रम

  1. अध्याय - 1 समष्टि अर्थशास्त्र का परिचय (Introduction to Macro Economics)
  2. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  3. उत्तरमाला
  4. अध्याय - 2 राष्ट्रीय आय एवं सम्बन्धित समाहार (National Income and Related Aggregates)
  5. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  6. उत्तरमाला
  7. अध्याय - 3 राष्ट्रीय आय लेखांकन एवं कुछ आधारभूत अवधारणाएँ (National Income Accounting and Some Basic Concepts)
  8. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  9. उत्तरमाला
  10. अध्याय - 4 राष्ट्रीय आय मापन की विधियाँ (Methods of National Income Measurement)
  11. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  12. उत्तरमाला
  13. अध्याय - 5 आय का चक्रीय प्रवाह (Circular Flow of Income)
  14. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  15. उत्तरमाला
  16. अध्याय - 6 हरित लेखांकन (Green Accounting)
  17. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  18. उत्तरमाला
  19. अध्याय - 7 रोजगार का प्रतिष्ठित सिद्धान्त (The Classical Theory of Employment)
  20. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  21. उत्तरमाला
  22. अध्याय - 8 कीन्स का रोजगार सिद्धान्त (Keynesian Theory of Employment)
  23. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  24. उत्तरमाला
  25. अध्याय - 9 उपभोग फलन (Consumption Function)
  26. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  27. उत्तरमाला
  28. अध्याय - 10 विनियोग गुणक (Investment Multiplier)
  29. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  30. उत्तरमाला
  31. अध्याय - 11 निवेश एवं निवेश फलन(Investment and Investment Function)
  32. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  33. उत्तरमाला
  34. अध्याय - 12 बचत तथा निवेश साम्य (Saving and Investment Equilibrium)
  35. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  36. उत्तरमाला
  37. अध्याय - 13 त्वरक सिद्धान्त (Principle of Accelerator)
  38. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  39. उत्तरमाला
  40. अध्याय - 14 ब्याज का प्रतिष्ठित, नव-प्रतिष्ठित एवं कीन्सीयन सिद्धान्त (Classical, Neo-classical and Keynesian Theories of Interest)
  41. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  42. उत्तरमाला
  43. अध्याय - 15 ब्याज का आधुनिक सिद्धान्त (IS-LM व्याख्या) Modern Theory of Interest (IS-LM Analysis )
  44. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  45. उत्तरमाला
  46. अध्याय - 16 मुद्रास्फीति की अवधारणा एवं सिद्धान्त (Concept and Theory of Inflation)
  47. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  48. उत्तरमाला
  49. अध्याय - 17 फिलिप वक्र (Philips Curve)
  50. वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  51. उत्तरमाला

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